प्रिय रवीश जी, बहुत दिनों से आपको चिट्ठी लिखने की सोच रहा था लेकिन हर बार कुछ न कुछ सोचकर रुक जाता था। सबसे बड़ी वजह तो ये थी कि मेरा इन ‘खुले खत’ में विश्वास...
प्रिय रवीश जी, बहुत दिनों से आपको चिट्ठी लिखने की सोच रहा था लेकिन हर बार कुछ न कुछ सोचकर रुक जाता था। सबसे बड़ी वजह तो ये थी कि मेरा इन ‘खुले खत’ में विश्वास...