भारत में चीन के दूतावास ने एक ऐसा बयान जारी किया है जो इस बात का इशारा है कि चीन किस हद तक घिर चुका है और अब वो हाथ फैलाकर दया की भीख माँग रहा है। दिल्ली में चीन के राजदूत की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि “दोनों देशों के बीच सीमा का विवाद इतिहास की देन है। ये विवाद बेहद संवेदनशील और जटिल है। हमें इसका ऐसा उचित ढूँढना चाहिए जो दोनों देशों को स्वीकार हो। इसका एकमात्र तरीक़ा आपसी बातचीत और शांतिपूर्ण सौदेबाज़ी ही हो सकता है।” चीन के बयान का ये लहजा अपने काफी कुछ कहता है। क्योंकि अब तक चीन के बयानों में बेहद आक्रामकता दिखाई देती रही है। इसका बड़ा कारण आगे हम आपको बताते हैं। यह भी पढ़ें: चीन से मुकाबले के लिए सुखोई और मिग-29 क्यों खरीद रहा है भारत?
5G ठेका छिनने की चिंता
भारत में बहुत जल्द ही 5G नेटवर्क स्थापित करने के लिए ठेके दिए जाने हैं। इसके लिए यूं तो दुनिया की कई कंपनियां रेस में हैं, लेकिन चीन की कंपनी हुवेइ (Huawei) जितनी आक्रामकता के साथ दुनिया भर में कारोबार कर रही है उसे देखते हुए माना जा रहा था कि इस ठेके के लिए वो सबसे बड़ी दावेदार है। हुवेइ की खूबी है कि वो सबसे कम खर्चे में नेटवर्क बनाकर देती है। लेकिन पहले कोरोना वायरस और फिर लद्दाख के गल्वान वैली में चीन ने जो गलती की उसका नतीजा अब उसे डरा रहा है। पिछले साल दिसंबर में भारत सरकार ने हुवेइ को 5G के ट्रायल के लिए मंजूरी दी थी। उसके अलावा एरिक्सन-नोकिया, चीन की ही कंपनी ZTL और सैमसंग भी रेस में हैं। यह भी पढ़ें: क्या सरकार ने वाकई 1126 करोड़ का ठेका चीन की कंपनी को दे दिया?
हुवेइ रेस में है सबसे आगे
भारत में 5G नेटवर्क का काम पहले ही समय से पीछे चल रहा है। इस टेक्नोलॉजी में हुवेइ अपनी सभी प्रतिद्वंदी कंपनियों से लगभग एक साल एडवांस है। हुवेइ इसे सबसे जल्दी और कम खर्च में बनाकर दे सकती है। अनुमान है कि किसी अन्य कंपनी को ठेका मिला तो 5G सर्विस की दरें ग्राहकों को 15 से 20 प्रतिशत तक महंगी पड़ेगी। 5G के ठेके जारी करने में अब तक देरी की बड़ी वजह अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध था। अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है कि वो हुवेइ को ठेका न दे। भारत की दुविधा यह है कि तेज आर्थिक विकास और विदेशी निवेश के लिए उसे 5G नेटवर्क की जल्द जरूरत है, लेकिन चीन की कंपनी होने के कारण सुरक्षा को लेकर चिंताएं भी हैं। लद्दाख की घटनाओं से ये चिंता और बढ़ गई है। यह भी पढ़ें: चीन की कंपनी का फोन खरीदकर आप फंस चुके हैं
भारत का फ़ैसला बेहद अहम
चीन ने सोचा था कि लद्दाख में तनाव के जरिए वो भारत सरकार पर इस बात का दबाव बना लेगा कि 5G ठेका हुवेइ या ZTL को दिया जाए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पिछले महीने ही सिंगापुर ने हुवेइ की बोली नामंजूर करके एरिक्सन-नोकिया को 5G का ठेका दे दिया। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और ताइवान पहले ही चीन को झटका दे चुके हैं। फ्रांस, हंगरी, दक्षिण कोरिया, थाइलैंड, स्विटजरलैंड, रूस और मलेशिया ने चीन की कंपनियों को ठेका दिया है। भारत के अलावा कनाडा, इटली, नीदरलैंड्स, जर्मनी और ब्रिटेन ने अब तक फैसला नहीं किया है। चीन ने इस मामले में जितने बड़े पैमाने पर निवेश किया है अगर भारत, जर्मनी जैसे देश उसे झटका दे दें तो उसका पूरा टेलीकॉम उद्योग चरमरा जाएगा। यह भी पढ़ें: चाइनीज माल के समर्थकों के चार बड़े झूठ
चीन को लेकर क्या है ख़तरा
जानकारों के अनुसार अगर हुवेइ के पास 5G का काम होगा तो भारत का पूरा डेटा चीन के कब्जे में होगा। उसके लिए भारत में नेटवर्क की हैकिंग से लेकर दूसरे तरह की ब्लैकमेलिंग आसान हो जाएगी। चीन के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए उस पर कतई भरोसा नहीं किया जा सकता। भारत की कोशिश थी कि किसी तरह हुवेइ कंपनी ने नेटवर्क सिक्योरिटी के उपाय करा लिए जाएं। लेकिन तनाव के मौजूदा माहौल में सरकार के लिए चीन की कंपनी को ठेका देना लगभग नामुमकिन है।
ख़तरे में चीन की इकोनॉमी
एक ख़तरा यह भी है कि हुवेइ को अगर भारत में 5जी का काम मिल गया तो टेलीकॉम की दुनिया में चीन का एकछत्र राज हो जाएगा। वो इतनी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा जिसका मुक़ाबला करना भारत तो क्या अमेरिका के लिए भी मुश्किल होगा। इतना तय है कि जब भी ऐसा हुआ तो चीन की कम्युनिस्ट सरकार उस ताक़त का इस्तेमाल भारत जैसे देशों को डराने-धमकाने और ज़मीन हड़पने के लिए करेगी। अगर भारत और जर्मनी जैसे देशों में चीन ठेका पाने में नाकाम रहा तो यह उसकी अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरा होगा। दुनिया भर में चीन के लिए नकारात्मक माहौल है। ऐप्स बैन होने और तरह-तरह की पाबंदियों से चीन की कई कंपनियाँ घुटनों पर आ गई हैं। ऐसे में चीन 5G का ठेका बचाने की पूरी कोशिश शुरू कर चुका है। हालांकि उसे भी एहसास जरूर होगा कि गल्वान वैली में जो गलती उसने कर दी है उसकी भरपाई अब दोस्ती का कोई भई संदेश नहीं कर सकता।
नीचे आप चीन के राजदूत का संदेश पढ़ सकते हैं:
Chinese Ambassador to India Sun Weidong issues statement over India-China border issue. "The boundary question left over by history, is sensitive and complicated. We need to find a fair & reasonable solution mutually acceptable through equal consultation & peaceful negotiation." pic.twitter.com/WPti3oTVLi
— ANI (@ANI) July 10, 2020
(आशीष कुमार की रिपोर्ट)