चीन से जारी तनाव के बीच भारत ने रूस से कुछ हथियारों की ख़रीद का फ़ैसला किया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रूस दौरे में सुखोई-30 MKI, मिग-29, टी-90 टैंक और किलो क्लास सबमरीन (पनडुब्बी) के लिए उपकरणों की सप्लाई तेज करने की मांग की। दरअसल कोरोना वायरस के कारण ये सप्लाई कई महीनों से अटकी हुई है। कोरोना के ही कारण रूस ने एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी में दिसंबर 2021 तक देरी की बात कही है। भारत पिछले साल ही इसके लिए रूस को करीब साढ़े पांच खरब डॉलर का भुगतान कर चुका है। कई लोग यह जानना चाहते हैं कि जब भारत राफेल लड़ाकू विमानों के साथ अत्याधुनिक दौर में प्रवेश के लिए तैयार है, ऐसे में 21 मिग-29 और 12 सुखोई-30 विमानों की खरीद के पीछे कारण क्या है?
वायुसेना ने रखी है डिमांड
राफ़ेल विमानों की सप्लाई का काम यूँ तो शुरू हो गया है, लेकिन अभी सिर्फ़ एक विमान की चाभी मिली है। वो भी फ़्रांस में है और पायलटों की ट्रेनिंग वग़ैरह का काम चल रहा है। ऐसे में वायुसेना चाहती थी कि फ़ौरी ज़रूरतों के लिए मिग-29 और सुखोई-30 ख़रीदे जाएं, क्योंकि यही दो विमान हैं जिनके लिए भारतीय पायलटों को फ़िलहाल ट्रेनिंग की कोई ज़रूरत नहीं होगी। अभी भारत के पास 230 सुखोई-30 और 60 मिग-29 विमान हैं। यह पाया गया है कि ख़ास तौर पर चीन की सीमा से लगे ऊँचाई वाले इलाक़ों में सुखोई-30 का प्रदर्शन अच्छा है, हालाँकि ये राफ़ेल जितना दमदार नहीं है। लेकिन कई मामलों में ये चीन लड़ाकू विमानों पर भारी पड़ता है। इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने देसी लड़ाकू विमान तेजस के 83 प्लेन बनाने का ऑर्डर दिया है। राफ़ेल के 36 विमानों के ऑर्डर पर काम पहले से चल रहा है। इससे भारत के कुल स्क्वाड्रनों की संख्या 40 हो जाएगी। एक स्क्वाड्रन में 12 फाइटर प्लेन होते हैं। एक साथ चीन और पाकिस्तान के मोर्चे पर मुक़ाबले के लिए इतने विमान काफ़ी माने जाते हैं।
क्या है भारत की रणनीति
सरकार चाहती है कि लड़ाकू विमानों के मामले में किसी एक देश पर ही पूरी तरह आश्रित न रहा जाए। अब भारत के बेड़े में देसी तेजस के अलावा फ़्रांस के मिराज 2000 और राफ़ेल, रूस के सुखोई और मिग, यूरोपियन जगुआर का कॉम्बिनेशन हो जाएगा। इसके अलावा अमेरिका की कंपनी लॉकहीड मार्टिन से एफ-35 और यूरोफाइटर कंपनी के टाइफ़ून विमान को लेकर भी चर्चाएँ होती रहती हैं, लेकिन उनकी बात आगे नहीं बढ़ी। सुखोई को पसंद करने की दूसरी बड़ी वजह ये है कि इसे पूरी तरह से भारत में ही बनाया जाएगा। भारतीय कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के पास सुखोई-30C बनाने का लाइसेंस है। लिहाजा सुखोई खरीदना ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के लिहाज से भी ठीक होगा। कई एक्सपर्ट दावा करते हैं कि सुखोई लद्दाख जैसे ऊंचे इलाके की जरूरत के हिसाब से फिट नहीं है, लेकिन भारतीय वायुसेना का अनुभव यह सही नहीं मानता।
राजनाथ सिंह का रूस दौरा पहले से तय था वो वहाँ रूस के विक्ट्री डे समारोह में अतिथि के तौर पर आमंत्रित थे। इस साल परेड में भारतीय सेना की तीनों टुकड़ी ने भी हिस्सा लिया (देखें वीडियो नीचे)। इस मौक़े पर राजनाथ ने रूस के डिप्टी पीएम यूरी बोरिसोव के साथ मुलाक़ात की।
राफ़ेल का मामला कहां पहुँचा?
फ़्रांस सरकार ने भरोसा दिलाया है कि कोरोना संकट के बावजूद राफ़ेल की सप्लाई वो वादे के मुताबिक़ समय पर कर देगी। कुल 36 राफ़ेल लड़ाकू विमान आने हैं, जिनका निर्माण जोरशोर से चल रहा है। 8 अक्टूबर 2019 को पहले राफ़ेल की चाभी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने फ़्रांस में जाकर ली थी। फ़्रांस कोरोना वायरस से बुरी तरह से जूझ रहा है ऐसे में आशंका जताई जा रही थी कि राफ़ेल की सप्लाई में भी देरी हो सकती है।
#WATCH Russia: A Tri-Service contingent of Indian Armed Forces participates in the Victory Parade at Red Square in Moscow, that marks the 75th anniversary of Russia's victory in the 1941-1945 Great Patriotic War. pic.twitter.com/jamcyb6C9m
— ANI (@ANI) June 24, 2020
(न्यूज़लूज़ टीम)