बहुत साल बाद आपने सुना होगा जब कहीं दलितों की पूरी बस्ती जला दी गई हो। यूपी में जौनपुर के एक गाँव में हुई इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यहां भदेठी गांव में मुसलमानों की एक भीड़ ने लाठी-डंडों से लैस होकर दलितों को न सिर्फ बुरी तरह से मारा-पीटा, बल्कि उनके घरों में आग लगा दी। इस हमले में 10 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हुए हैं। इस मामले में यूपी सरकार ने फौरन संज्ञान लेते हुए समाजवादी पार्टी नेता जावेद सिद्धीकी समेत सभी 37 आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA लगाने का आदेश दिया है। मामले में ढिलाई बरतने वाले थाना प्रभारी के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। साथ ही सभी पीड़ित परिवारों को तत्काल सरकार की तरफ से आवास देने का एलान किया गया है। दलितों पर मुसलमानों के हमले का यह इकलौता मामला नहीं है, पिछले कुछ समय से ऐसी घटनाओं में भारी तेजी देखी जा रही है।
दलितों को बनाया ‘सॉफ़्ट टारगेट’
अकेले उत्तर प्रदेश में पिछले 2-3 महीने में दलितों पर हमले की ऐसी आधा दर्जन घटनाएँ हो चुकी हैं। इनमें से ज़्यादातर को पब्लिसिटी नहीं मिलती, क्योंकि लगभग सभी में आरोपी मुसलमान हैं। यही स्थिति बाक़ी देश में भी है। जौनपुर की घटना के अगले ही दिन आज़मगढ़ में दलित लड़कियों से छेड़खानी का विरोध करने पर मारपीट की घटना सामने आई। इस मामले में भी पुलिस ने 12 आरोपियों को गिरफ्तार करके उन पर एनएसए लगा दिया है। जबकि बाक़ी फ़रार आरोपियों की तलाश में छापेमारी की जा रही है। इसी तरह ग़ाज़ियाबाद के मसूरी इलाक़े में विवेक जाटव नाम के दलित की हत्या कर दी गई। इस केस में मोहसिन, सलमान और आदिल को पकड़ा गया है। ऐसी ज़्यादातर घटनाओं में मीडिया आरोपियों के नाम छिपा लेता है इसलिए पता नहीं चलता कि घटना के पीछे कौन है। ऐसी कुछ चर्चित घटनाओं में से मई में एमपी के भिंड में कोरोना वायरस का टेस्ट कराने के लिए बोलने पर एक दलित परिवार पर मुसलमान पड़ोसियों ने हमला बोल दिया। जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। पिछले साल जुलाई में मुरादाबाद के पीपलसाना में मुस्लिम नाइयों ने दलितों के बाल काटने से मना कर दिया, क्योंकि इलाक़े के मुसलमानों ने कहा कि वो दलितों की छुई तौलिया और कैंची से बाल नहीं कटवाएँगे।
दिल्ली से सटा हरियाणा का मेवात इलाक़ा भी इन दिनों चर्चा में है। ये पूरा इलाक़ा यहाँ रहने वाले दलित हिंदुओं के लिए क़ब्रिस्तान बनता जा रहा है। महिलाओं को अगवा करना, दुष्कर्म और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएँ यहाँ बिल्कुल वैसे ही होती हैं जैसे पाकिस्तान में। जिले के करीब 500 गाँवों में से 103 गाँव ऐसे हैं जो पूरी तरह हिंदूविहीन हो चुके हैं। 84 गाँव ऐसे हैं जहाँ अब केवल 4 या 5 हिंदू परिवार ही बाकी हैं। मेवात के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां घुसने से पुलिस भी डरती है।

दलितों पर क्यों हो रहे हैं हमले?
जानकारों की राय में दलितों पर हमले की बड़ी वजह राजनीतिक है। जहां तक उत्तर प्रदेश की बात है 2017 के बाद से बड़ी संख्या में दलित वोटर बीजेपी की तरफ़ शिफ़्ट हुए हैं। इससे उन्हें उसी तरह की राजनीतिक ताक़त मिली है जैसी 2007 में बीएसपी की जीत पर मिली थी। इस कारण ज़मीनी स्तर पर एक बार फिर से बीएसपी और समाजवादी पार्टी के वोटरों में टकराव की स्थिति बन रही है। 2012 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद दलितों पर जितने अत्याचार हुए उतने शायद किसी काल में नहीं हुए। ये वो समय था जब दलितों के मुक़दमे भी थानों में नहीं लिखे जाते थे। अब जब दलित ख़ुद को बीजेपी के शासन में सुरक्षित पा रहे हैं यह बात उन तत्वों को खटक रही है जो हिंदुओं का यह सामाजिक गठजोड़ नहीं चाहते। क्योंकि ऐसा होने पर ईसाई मिशनरियों और इस्लामी प्रचारकों का काम कठिन हो रहा है। हरियाणा के मेवात में दलितों पर अत्याचार के पीछे भी असली कारण यही है।
नीचे देखें जौनपुर की घटना का वीडियो:
देखिए यूपी में जौनपुर में कैसे पिछड़े हिंदू बस्ती में विशेष समुदाय द्वारा आगज़नी और मार-काट की गई । video साभार : @ippatel
“मित्रों इस विडीओ को जितने भी दलितों के हितैषी बनने का नाटक करते है और इस विषय पर चुप है उन्हें टैग करे । pic.twitter.com/D61Xjy74rQ— हरि मांझी (@HariManjhi) June 11, 2020
जौनपुर, आज़मगढ़ जैसी घटनाओं पर सख़्त रवैया अपनाकर योगी सरकार ने यह संदेश दे दिया है कि वो दलितों की सुरक्षा पर किसी भी हालत में समझौता करने को तैयार नहीं हैं। निश्चित रूप से यह एक नए तरह के सामाजिक समीकरण की निशानी है जिसमें पूरा हिंदू समाज एकजुट होकर अपने ख़िलाफ़ होने वाले षड्यंत्रों के जवाब दे रहा है।
(न्यूज़लूज़ टीम)