अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की दिल्ली यात्रा के वक़्त भड़की हिंसा का एक अहम किरदार ख़ालिद सैफी पकड़ा गया है। खुद को पेशे से कारोबारी बताने वाले ख़ालिद सैफी को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। उसके ख़िलाफ़ चांदबाग हिंसा में शामिल होने की चार्जशीट पहले ही दाखिल हो चुकी है। क्राइम ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक खालिद सैफी, इसी दंगे के एक और साजिशकर्ता उमर खालिद को जानता है और उसकी पहचान ताहिर हुसैन से भी है। उसी ने खालिद और ताहिर हुसैन के बीच मुलाकात करवाई थी। चार्जशीट के मुताबिक़ ख़ालिद सैफी ने दंगों की प्लानिंग से लेकर उसके अमल तक में बेहद अहम कड़ी का काम किया। उसके संपर्क दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत कई बड़े पत्रकारों से बताए जा रहे हैं। यह भी पढ़ें: ये है केजरीवाल की जिहादी चौकड़ी, करतूत जानकर हैरान रह जाएंगे
ऐसे हुई दिल्ली दंगों की प्लानिंग
पुलिस के आरोपपत्र के अनुसार ख़ालिद सैफी ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और केजरीवाल के करीबी पार्षद ताहिर हुसैन के बीच मीटिंग कराई थी। ये मुलाक़ात 8 जनवरी को शाहीन बाग में हुई थी। इसमें ही नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन को बड़ा करने और सही समय पर हिंसा की प्लानिंग भी हुई। मीटिंग में उमर खालिद ने कहा था कि “जब अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप दिल्ली में होंगे तब कुछ बड़ा करना है। इसके लिए फाइनेंशियल सपोर्ट PFI देगा।” PFI एक कट्टरपंथी इस्लामी आतंकी संगठन है। खालिद सैफी की गिरफ्तारी के साथ ही पुलिस अब उमर खालिद तक भी पहुंच गई है और उसके भी बहुत जल्द गिरफ्तार होने के आसार जताए जा रहे हैं। यह भी पढ़ें: जानिए दंगे से पहले बार-बार किससे फोन पर बात कर रहा था ताहिर हुसैन
बेहद अहम किरदार है ख़ालिद
पुलिस सूत्रों के अनुसार ख़ालिद सैफी ने ही दंगों की प्लानिंग करने वाले कुछ ‘बड़े लोगों’ के साथ मिलकर सारा ग्राउंडवर्क किया था। इसके लिए वो दिल्ली में एक बड़े मीडिया समूह के संपादक, जो आम आदमी पार्टी के भी करीबी रहे हैं और केजरीवाल के एक पूर्व सहयोगी जो इन दिनों अपनी एक अलग राजनीतिक संस्था चलाते हैं, के साथ लगातार संपर्क में था। इसके बाद ही पिंजरातोड़ जैसे वामपंथी संगठनों को इसमें शामिल किया गया। पुलिस की अब तक की जाँच बताती है कि दंगे में निज़ामुद्दीन मरकज़ और तब्लीगी जमात की भी भूमिका है। गुलेल, पेट्रोल बम और एसिड से हमले की पूरी प्लानिंग ख़ालिद सैफी ने ही ज़मीन तक पहुँचाई। बाकी बंदूकों और हथियारों की सप्लाई भी उसी ने की। यह भी पढ़ें: दिल्ली के जिहादियों को कहां से मिला गुलेल का आइडिया
दंगों से पहले ख़ालिद सैफी आम आदमी पार्टी के कई नेताओं और कई पत्रकारों से मिला था और उन्हें उनकी भूमिका के बारे में समझाया था।
पक्के सबूतों पर गिरफ़्तारी हुई
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने हमें बताया कि कॉल डिटेल्स, मोबाइल पर चैटिंग और ऐसे ही दूसरे वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर ख़ालिद सैफी को पकड़ा गया है। दंगों के लिए उत्तर-पूर्वी इलाक़ों को चुनने का भी आइडिया ख़ालिद सैफी का ही था। ये इलाक़ा ख़ास तौर पर इसीलिए चुना गया क्योंकि यहाँ दिल्ली की सबसे घनी आबादी है। कई इलाक़ों में हिंदू-मुस्लिम आबादी बिल्कुल मिलीजुली है। सबको पता था कि ट्रंप की यात्रा के कारण पुलिस कम होगी और दंगा फैलाना आसान होगा। फ़िलहाल पुलिस ख़ालिद सैफी को गिरफ्तार करके उससे पूछताछ कर रही है, ताकि उन सारे चेहरों को सामने लाया जा सके, जिन्होंने दंगों के बहाने दंगाइयों का मक़सद पूरा करने में भरपूर मदद की। यह भी पढ़ें: CAA पर हिंसा कराके पाकिस्तान ने फिलहाल पीओके बचा लिया
(न्यूज़लूज़ टीम)