लद्दाख में चीन की सीमा से लगी सड़कें बनाने के लिए झारखंड से मज़दूर ले जाने की इजाज़त देने से हेमंत सोरेन सरकार ने मना कर दिया है। दो दिन पहले मीडिया में ऐसी ख़बरें आई थीं कि बॉर्डर रोड ऑर्गनाइज़ेशन (BRO) ने झारखंड से 12 हजार मजदूरों को लद्दाख ले जाने के लिए 11 स्पेशल ट्रेनें मांगी हैं। इसके मुताबिक यह फैसला लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारतीय और चीनी सेना के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए उठाया गया है। इस इलाके में सड़कें बनाने का काम पहले से चल रहा है लेकिन सेना चाहती है कि इसमें तेजी लाई जाए। लेकिन अभूतपूर्व तरीके से झारखंड सरकार ने इसकी अनुमति देने से मना कर दिया। यहां पर यह बताना जरूरी है कि झारखंड सरकार में कांग्रेस भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ साझीदार है।
कोरोना संक्रमण का बहाना बनाया
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ दुमका में मज़दूरों के लिए भर्ती कैंप लगाया जाना था। लेकिन झारखंड सरकार ने यह कहते हुए अनुमति रद्द कर दी कि इससे मजदूरों में कोरोना वायरस फैलने का खतरा है। 29 मई को ही झारखंड सरकार ने एक चिट्ठी लिखकर बीआरओ को भर्ती कैंप की अनुमति रद्द करने के फैसले की जानकारी दे दी। जबकि बीआरओ और रक्षा मंत्रालय के अधिकारी दुमका पहुंच चुके थे और डॉक्टरों की एक टीम के साथ मिलकर इस बात के इंतजाम किए जा रहे थे कि भर्ती के लिए आने वाले सभी मजदूरों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो और सभी को मास्क वगैरह सुरक्षा के जरूरी उपकरण दिए जाएं। यह जानकारी भी दे दी गई थी कि जो मजदूर यहां से जाएंगे उन सभी का पूरा मेडिकल टेस्ट कराया जाएगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रोजेक्ट में अड़ंगा
झारखंड सरकार के फ़ैसले को समझना मुश्किल है। क्योंकि कोरोना वायरस के कारण लगा लॉकडाउन अब लगभग ख़त्म हो चुका है। एक राज्य से दूसरे राज्य लोगों के आने-जाने की अनुमति मिल चुकी है। रोज़गार से जुड़ी गतिविधियों पर रोक हट चुकी है। ऐसे में 12 हज़ार लोगों को रोज़गार में राज्य सरकार अड़ंगा क्यों लगा रही है? वो भी तब जब ये राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ कांग्रेस भी सरकार में शामिल है। समझना मुश्किल नहीं है कि यह फ़ैसला संभवत: उसके दबाव में लिया गया होगा। क्योंकि चीन के मामले में कांग्रेस का रवैया हमेशा से संदिग्ध रहा है। इससे पहले भी डोकलाम विवाद के समय राहुल गांधी चोरी-छिपे दिल्ली में चीन के दूतावास में गए थे।
सड़क निर्माण के लिए यही है वक़्त
पिछले कुछ समय से लॉकडाउन के कारण लद्दाख में रोड प्रोजेक्ट पर भी असर पड़ रहा था। अब सेना के पास बस अक्टूबर तक का समय है। इसलिए वो और समय नहीं गंवाना चाहती। अक्टूबर के बाद यहाँ सर्दी बहुत बढ़ जाती है और ऊपरी इलाक़ों में तो पारा ज़ीरो से कई डिग्री नीचे गिर जाता है। लद्दाख में चीन से लगी सीमा से लगे इलाक़ों में इस समय क़रीब 35 सड़क और पुल प्रोजेक्ट चल रहे हैं। ये सभी सेना के नज़रिए से बेहद रणनीतिक हैं।
(न्यूज़लूज़ टीम)