अमेरिका के मिनीपोलिस में जॉर्ज फ्लायड नाम के एक ब्लैक नागरिक की पुलिस की पिटाई से मौत का मामला इन दिनों चर्चा में है। इस घटना के चलते अमेरिका के कुछ इलाक़ों में आंदोलन भड़क उठा, जिसमें बड़े पैमाने पर हिंसा और लूटपाट की ख़बरें आ रही हैं। इस घटना को लेकर भारत के कुछ तत्वों ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दिखाई है उससे एक बड़े ख़तरे का संकेत मिल रहा है। कुछ ने तो बाक़ायदा अमेरिका की तर्ज़ पर भारत में हिंसा फैलाने की बातें खुलकर लिखी हैं। नागरिकता क़ानून के नाम पर दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगे भी इसी तरह का प्रयोग थे, लेकिन अब जो मंसूबे दिखाई दे रहे हैं वो अधिक ख़तरनाक हैं।
चीन के इशारे पर सक्रिय हुआ गैंग
ख़ुफ़िया एजेंसियों से जुड़े सूत्र भी इस बात की आशंका जता रहे हैं कि चीन के इशारे पर काम करने वाले पत्रकार, कुछ एनजीओ और राजनीतिक संगठन भारत में गड़बड़ी फैला सकते हैं। ऐसा इसलिए ताकि भारत अंदरूनी समस्याओं में ही उलझ जाए और चीन की तरफ़ उसका ध्यान न जाए। कथित सामाजिक कार्यकर्ता आकार पटेल, स्वीडन के एक विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर अशोक स्वाइन समेत टुकड़े-टुकड़े गैंग से जुड़े कई संदिग्धों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि अमेरिका की तर्ज़ पर भारत में हिंसा कराई जानी चाहिए। इसी तरह अमेरिका की घटना के बहाने भारत में जातीय वैमनस्य पैदा करने कोशिश चल रही है। इन सारी कोशिशों को राजनीतिक समर्थन भी मिलता दिखाई दे रहा है।
आम आदमी पार्टी के इरादे संदिग्ध
आम आदमी पार्टी के नेता और केजरीवाल के करीबी नागेंद्र शर्मा ने बीबीसी की रिपोर्टर के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है कि “दिल्ली दंगे यह याद दिलाते हैं कि भारत को भी जॉर्ज फ्लॉयड की तर्ज़ पर आंदोलन की सख़्त ज़रूरत है ताकि राज्य प्रायोजित अत्याचारों पर सवाल उठाया जा सके। यह दुख की बात है कि देश की राजधानी में 53 लोगों की हत्या हो गई और दिल्ली पुलिस पीड़ितों को ही निशाना बना रही है।” यह स्थिति तब है जब पूरी दुनिया ने आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान को दंगे भड़काते और पार्षद ताहिर हुसैन को हिंदुओं पर हथियारों से हमले करते देखा। दिल्ली में पहले नागरिकता क़ानून (CAA) को लेकर हिंसा और बाद में हुए दंगों में आम आदमी पार्टी की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। इसके बाद सिक्किम को अलग देश के तौर पर बताकर आम आदमी पार्टी सरकार ने यह इशारा कर दिया था कि वो दरअसल क्या चाहती है।
Absolutely correct.
Delhi riots are a grim reminder that India now needs a George Floyd type movement to question state atrocities.
It is sad that in world’s largest democracy 53 innocents were murdered in its national capital & Delhi Police is targeting the victims only https://t.co/WKokGJWWPQ— Nagendar Sharma (@sharmanagendar) May 31, 2020
मशहूर वकील प्रशांत पटेल ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि जून के प्रथम सप्ताह और 10 जून तक सतर्क रहने की ज़रूरत है। संभवत: उनको अपने सूत्रों से इस षड्यंत्र के बारे में