देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक दिल्ली विश्वविद्यालय में इन दिनों एक अजीबोग़रीब विवाद छिड़ा हुआ है। मामला यूनिवर्सिटी के 28 कॉलेजों को लेकर है। ये वो कॉलेज हैं जिनको दिल्ली सरकार फंड करती है। लिहाज़ा इन कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी में दिल्ली सरकार की तरफ़ से लोग नामित किए जाते हैं। कॉलेज की इन कमेटियों में आम तौर पर शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े जाने-माने विद्वान या खेल, कला और संस्कृति से जुड़ी हस्तियों को रखा जाता है। लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार ने जो लिस्ट भेजी है उनमें सैलून चलाने वाला, प्रॉपर्टी डीलर, इलेक्ट्रीशियन जैसे लोग शामिल हैं। इनके अलावा कुछ नाम ऐसे हैं जो यूनिवर्सिटी में पार्ट टाइम यानी गेस्ट टीचर के तौर पर पढ़ाते हैं। केजरीवाल सरकार कहती है कि ये लोग ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ हैं। पहले इसी तरह से केजरीवाल ने अपने लिए काम करने वाले कथित पत्रकारों को गवर्निंग बॉडी में जगह दिलाई थी। पढ़ें रिपोर्ट: ये हैं वो पत्रकार जो केजरीवाल के हाथों बिक गए
कुलपति पर दबाव डाल रही है सरकार
दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर योगेश त्यागी ने आपत्ति दर्ज कराते हुए केजरीवाल सरकार की भेजी लिस्ट को लौटा दिया। इसके बाद सरकार ने दोबारा लिस्ट भेजी, जिसमें फिर से इन्हीं नामों को डाला गया। इसके कारण इन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी का अब तक गठन नहीं हो पाया है। जिसका असर फ़ंडिंग पर पड़ रहा है और कॉलेजों के टीचर और स्टाफ़ के वेतन देने में भी समस्या हो रही है। ऐसे कुल 12 कॉलेज हैं जिनमें समस्या सबसे ज़्यादा है, क्योंकि ये पूरी तरह से दिल्ली सरकार से फंड पाते हैं। सरकार की भेजी लिस्ट में कई नाम हैं जिन पर यूनिवर्सिटी के एग्जिक्यूटिव काउंसिल ने आपत्ति दर्ज कराई है। पिछले साल अक्टूबर में ही इसकी जानकारी राज्य सरकार को भेज दी गई थी। अब डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दोबारा कुलपति को चिट्ठी लिखकर गवर्निंग बॉडी के गठन के लिए दबाव बनाया है। इतना ही नहीं उन्होंने उल्टा कुलपति पर ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप मढ़ दिया, जबकि वो ख़ुद भ्रष्टाचार करते दिखाई दे रहे हैं। यह भी पढ़ें: दिल्ली में वसूली रैकेट का सबसे काबिल चेहरा है केजरीवाल का ये विधायक
कौन हैं केजरीवाल सरकार के विद्वान?
दिल्ली सरकार ने जिन तथाकथित विद्वानों की सूची गवर्निंग बोर्ड के लिए भेजी है उसमें एक का नाम हारुन सलमानी है। ओपन स्कूल से पढ़ाई करने वाले हारुन सोमानी को आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज के गवर्निंग बोर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया है। वो इंद्रप्रस्थ एक्सटेंशन में एक यूनिसेक्स सैलून यानी हजामत बनाने की दुकान चलाता है। अदिति महाविद्यालय के लिए नितिन भोट नाम के व्यक्ति को नॉमिनेट किया गया है, जो प्रॉपर्टी डीलर का काम करता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक़ उसका कहना है कि “जब मैं डीयू में था तभी से मैं वहां के छात्रों के साथ लगातार संपर्क में रहा हूं। मैं हमेशा उनकी मदद करता हूं।” पता चला कि ये आदमी डीयू में कभी पढ़ा ही नहीं, उसने इग्नू (IGNOU) से बीए किया है। माना जा रहा है कि ये सभी वो लोग हैं जो आम आदमी पार्टी के लिए काम करते रहे हैं। हो सकता है कि उन्होंने इसके लिए पैसे दिए हों। यह भी पढ़ें: वो 5 मौके जब भारत के लिए केजरीवाल की निष्ठा पर शक पैदा हुआ
क्यों महत्वपूर्ण है गवर्निंग बॉडी?
बताया जाता है कि इससे पहले दिल्ली में कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार के दौर में भी गवर्निंग बॉडी में कांग्रेस से जुड़े लोगों को रखा जाता था। लेकिन उनका भी स्तर इतना ख़राब नहीं होता था। लेकिन आम आदमी पार्टी ने तो मर्यादा की सारी हदें तोड़ दीं। पहली बार सत्ता में आने के फ़ौरन बाद ही उसने पार्टी से जुड़े अयोग्य लोगों को नॉमिनेट करना शुरू कर दिया। दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में टीचरों समेत तमाम दूसरी भर्तियों में गवर्निंग बॉडी की सीधी दखल होती है। इसके अलावा उनके पास वित्तीय अधिकार भी होते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता मधु किश्वर ने इस मसले पर ट्वीट भी किया था।
What links a salon owner, guest teacher, property consultant and
an electrician with Delhi University?They were all nominated by Kejriwal Goverment to the governing bodies of some DU Colleges.
Sadly all parties bring in unqualified cronies. https://t.co/o96XVKtNwv pic.twitter.com/nZlk6sLVOh— MadhuPurnima Kishwar (@madhukishwar) March 13, 2020
(न्यूज़लूज़ टीम)