महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। अटकलें हैं कि बहुत जल्द ही उद्धव ठाकरे सरकार गिर सकती है। वास्तव में इसकी भूमिका पिछले कुछ समय से बन रही थी। लेकिन ईद की छुट्टी के दिन राज्यपाल से मुलाक़ातों का दौर असामान्य रूप से तेज़ हो गया। सुबह सबसे पहले एनसीपी नेता शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने पहुँचे। इसके थोड़ी देर बाद प्रफुल्ल पटेल का बयान आया, जिसमें उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल के काम की तारीफ़ की। एक दिन पहले ही उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाया था कि रेल मंत्रालय श्रमिक ट्रेनें नहीं दे रहा है। पवार के थोड़ी ही देर बाद ही बीजेपी नेता नारायण राणे राज्यपाल से मिलने पहुँचे और उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की माँग की। ये पूरा घटनाक्रम यह समझने के लिए काफ़ी है कि कोरोना संकट से बेहद बचकाने तरीक़े से निपटने वाले उद्धव ठाकरे के लिए आने वाले दिन शुभ नहीं हैं। यह भी पढ़ें: बिहार चुनाव से पहले इन दो राज्यों में सरकार बना सकती है बीजेपी
महाराष्ट्र में अंदर क्या चल रहा है?
जिस तरह से मुंबई और महाराष्ट्र कोरोना वायरस की चपेट में आया हुआ है, उसके कारण शिवसेना और उद्धव ठाकरे के लिए लोगों में ग़ुस्सा बढ़ रहा है। एनसीपी और कांग्रेस, दोनों ही इसकी ज़िम्मेदारी नहीं लेना चाहती। लिहाज़ा उन्हें इसी में भलाई लग रही है कि सरकार गिर जाए। एनसीपी को लग रहा है कि अगर सरकार कुछ दिन और चल गई तो राजनीतिक तौर पर उसे भी नुक़सान उठाना पड़ेगा। कांग्रेस की समस्या यह है कि अधिकारी उसके मंत्रियों की नहीं सुनते। पृथ्वीराज चव्हाण तो खुलकर कह रहे हैं कि ये कांग्रेस की सरकार नहीं है। ख़बरें हैं कि चव्हाण ने राज्य के कुछ अन्य नेताओं के साथ पिछले सप्ताह राहुल गांधी से संपर्क किया और ठाकरे से समर्थन वापस लेने का अनुरोध किया। कांग्रेस की चिंता यह है कि कोरोना वायरस के आगे नाकामी का ठीकरा उसके भी सिर फूटेगा, जबकि सत्ता में होने का कोई फ़ायदा भी नहीं मिल रहा। कांग्रेस को यह डर भी है कि कभी भी शरद पवार कभी भी पलटी मारकर बीजेपी के साथ जा सकते हैं। ख़बर है कि राहुल ने उनसे 25 मई तक का समय माँगा था जो आज ख़त्म हो गया। यह भी पढ़ें: एंतोनिया माइनो के बाद अब टीपू सुल्तान के आगे शिवसेना का सरेंडर
बीजेपी के दिल में क्या चल रहा है?
यह सवाल बेहद अहम है क्योंकि महाराष्ट्र में इस समय एक तरह की अराजकता का माहौल है। ख़बरों के मुताबिक़ एनसीपी और शिवसेना के 1-1 गुट नाराज़ चल रहे हैं। इनमें से कोई भी गुट अगर बीजेपी के साथ आ जाए तो कर्नाटक और एमपी की तर्ज़ पर सरकार बनाई जा सकती है। लेकिन बीजेपी की उलझन अभी दो बातों को लेकर है। पहली यह कि बीजेपी चाहती है कि मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे अभी पूरी तरह नाकाम साबित हो जाएं। दूसरी बात यह कि बीजेपी को लग रहा है कि इस संकट काल में जैसे ही वो सत्ता सँभालेंगी। विरोधियों को यह कहने का मौक़ा मिल जाएगा कि वो सत्ता की लालची है। उस पर संकट के समय सरकार को अस्थिर करने का भी आरोप लगेगा। यह तय है कि जैसे ही महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनेगी सेकुलर मीडिया उस पर हमले तेज़ कर देगा। जबकि इतनी तबाही के बावजूद अभी मीडिया आँख-कान बंद किए हुए है। महाराष्ट्र के स्थानीय ही नहीं, बल्कि दिल्ली के चैनलों ने भी उद्धव ठाकरे सरकार के ख़राब कामों पर चुप्पी साध रखी है। ऐसे में बीजेपी तत्काल राष्ट्रपति शासन के विकल्प पर चल रही है और जब एक बार हालात कुछ ठीक हो जाएं तो उसे सरकार बनाते देर नहीं लगेगी।
नीचे आप बीजेपी नेता नारायण राणे की राज्यपाल से मुलाक़ात की ख़बर देख सकते हैं। राणे ने राज्य में सेना बुलाने की भी माँग की है।
Former Maharashtra CM and BJP leader Narayan Rane met
Governor Bhagat Singh Koshyari today and demanded that President’s Rule be imposed in the state. pic.twitter.com/3Ava55SMbh— ANI (@ANI) May 25, 2020
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 50 हज़ार से ऊपर पहुँच चुकी है। महाराष्ट्र सरकार की नाकामी के कारण ही पूरे देश में मरीज़ पहुँच चुके हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की भूमिका सवालों के दायरे में है। ऐसे में उनका पतन अब हर किसी को अपने हित में दिखाई दे रहा है।
(न्यूज़लूज़ टीम)