दुनिया भर में कोरोना वायरस की दहशत के बीच इसे लेकर तरह-तरह की कहानियाँ सामने आ रही हैं। इनमें सबसे हैरतअंगेज़ दक्षिण कोरिया के एक पादरी का मामला है जिसने अकेले दम पर 4800 लोगों को वायरस से संक्रमित किया। ये पादरी दक्षिण कोरिया में मरीज नंबर 31 के नाम से चर्चा में है। ‘अल जजीरा’ की खबर के मुताबिक दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल के शिनचोनजी चर्च (Shincheonji Church) के पादरी को कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ था। उसके अंदर बीमारी के लक्षण भी आ चुके थे और दक्षिण कोरियाई सरकार के नियमों के अनुसार उसे अस्पताल में भर्ती या घर में खुद को बंद कर लेना चाहिए था। लेकिन पादरी ने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय उसने घूम-घूमकर ईसाई धर्म का प्रचार जारी रखा। वो लोगों को प्रभु यीशू के चमत्कार बताता था और यह दावा करता था कि यीशू के शरण में आने से कोरोना वायरस जैसी बीमारियां भी दूर हो जाती हैं। इस पादरी की करतूत सामने आने के बाद सियोल पुलिस ने उसके खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज कर लिया है। यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस के मरीजों पर असर कर रही है ये दवा, सरकार ने दी मंजूरी
लाखों लोगों की जान जोखिम में डाली
मरीज़ नंबर 31 के नाम से चर्चित इस पादरी का अस्पताल में इलाज चल रहा है। दक्षिण कोरिया में मरीज़ों की पहचान उनके बेड नंबर से होती है। इसी कारण उसकी पहचान पेशेंट नंबर-31 के रूप में की जा रही है। इस पादरी ने जिन 4800 लोगों को संक्रमित किया है, उनमें से ज़्यादातर लोग दूरदराज़ के इलाक़ों में रहने वाले गरीब लोग हैं। इनमें से 30 लोगों की मौत भी हो चुकी है। दक्षिण कोरियाई सरकार ने कहा है कि मरीज 31 में संक्रमण से पहले कोरोनावायरस काफ़ी हद तक नियंत्रण में था। लेकिन अब हालात बेक़ाबू हो चुके हैं। इसके लिए ज़िम्मेदार सिर्फ़ एक व्यक्ति है। क्योंकि जिन लोगों को उसने ये बीमारी दी उन्हें नहीं पता था कि लक्षण आने के बाद क्या करना होता है। लोगों का आरोप है कि ये पादरी जानबूझकर बीमारी फैला रहा था, क्योंकि उसे भरोसा था कि उसकी प्रार्थना के चमत्कार से बीमारी ठीक हो जाएगी और लोगों का प्रभु यीशु में विश्वास मज़बूत होगा।
चर्च के ख़िलाफ़ लोगों में भारी ग़ुस्सा
12 मार्च की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया में कोरोनावायरस बेक़ाबू हो चुका है। पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस संक्रमण के 114 नए मामले सामने आए हैं। पूरे देश में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 8000 के करीब हो चुकी है। साथ ही कोविड-19 से संक्रमित पांच लोगों की मौत के बाद से मरने वालों की संख्या बढ़कर 66 हो गई है। इन हालात में सबका ध्यान शिनचोनजी चर्च और उसकी दूसरी संस्थाओं की तरफ़ गया है। लोगों में इस बात की नाराज़गी है कि ईसाई धर्म के प्रचार के नाम पर इस संस्था ने पूरे दक्षिण कोरिया को ऐसे मक़ाम पर ला दिया है जिसमें लाखों लोगों की ज़िंदगी मुश्किल में फँस चुकी है और पूरी अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा रही है। इसी ग़ुस्से का नतीजा है कि चर्च के संस्थापक ली मन ही (Lee Man-hee) ने सार्वजनिक रूप से सिर झुकाकर दक्षिण कोरिया की जनता से माफी मांगी।
दरअसल दक्षिण कोरिया में ईसाई मिशनरियाँ काफ़ी समय से धर्मांतरण करवाने में जुटी हैं। दक्षिण कोरिया एक ऐसा देश है जहां बहुसंख्यक आबादी कोई धर्म नहीं मानती। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ यहाँ 56 फ़ीसदी से ज़्यादा लोग किसी धर्म में विश्वास नहीं रखते। जबकि दूसरे नंबर पर प्रोटेस्टेंट ईसाई हैं जिनकी आबादी 20 फ़ीसदी के क़रीब है, इसके अलावा कैथलिक ईसाइयों की संख्या 8 प्रतिशत के आसपास है। दक्षिण कोरिया में 16 फ़ीसदी लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं। बौद्ध और किसी धर्म को न मानने वाले नास्तिक लोग ईसाई मिशनरियों के सबसे ज़्यादा टार्गेट पर रहते हैं। वो उन्हें प्रभु यीशु के चमत्कारों की फ़र्ज़ी कहानियाँ सुनाकर और बीमारियाँ ठीक करने के नाम पर झाँसे में लेने की कोशिश करते रहते हैं। लेकिन कोरोना वायरस ने इसी बहाने ईसाई मिशनरियों के ग़ैरज़िम्मेदार रवैये को भी उजागर कर दिया है।
(न्यूज़लूज़ टीम)