2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपना घोषणापत्र जारी किया है। सत्ता पाने के लिए कोई राजनीतिक दल किस हद तक जा सकता है ये इसकी एक मिसाल है। गरीबी दूर करने के दावों के बीच-बीच में कांग्रेस पार्टी ने इस मैनिफेस्टो में कुछ ऐसी बातें डाली हैं जो देश की एकता और अखंडता के लिए बेहद खतरनाक हैं। यही कारण है कि कहा जा रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि ये घोषणापत्र ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ की तरफ से तैयार कराया गया है। सोनिया गांधी के हाथ में कांग्रेस की लगाम आने के बाद से इसकी जिहादी ताकतों और चर्च के साथ करीबी जगजाहिर है। लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा है कि कांग्रेस पार्टी वो चुनावी वादे कर रही है, जिसकी मांग आतंकवादी, कट्टरपंथी ताकतें, नक्सली और ईसाई मिशनरीज़ लंबे वक्त से करती रही हैं। पहले हिंदू आतंकवाद की थ्योरी लॉन्च करने और 2013 में दंगा निरोधक कानून के नाम पर हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश कांग्रेस पहले ही कर चुकी है। उसका चुनावी घोषणापत्र उसी अभियान को आगे बढ़ाने की नीयत से तैयार किया गया है। आइए आपको बताते हैं वो 5 बड़ी बातें जिन पर अमल हुआ तो देश के टुकड़े होने से कोई रोक नहीं पाएगा। यह भी पढ़ें: राहुल गांधी के कहने पर छत्तीसगढ़ में अडानी को दी गई कोयला खदान
1. देशद्रोह कानून खत्म करने का वादा
कांग्रेस ने देशद्रोह कानून की धारा 124 ए को खत्म करने का वादा किया है। इसका मतलब है कि देश में रहकर देश के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को कानून सज़ा नहीं दे सकेगा। ये इस्लामी जिहादियों और नक्सलियों की लंबे समय से मांग रही है। अब तक कोई भी बड़ा राजनीतिक दल इसका समर्थन नहीं करता था। लेकिन पहली बार कांग्रेस ने इसे मेनिफेस्टो में डालकर अपनी मंशा जाहिर कर दी। इससे पहले जवाहरलाल नेहरू ने भी इस कानून को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन तब भारी विरोध के कारण उन्हें पैर पीछे खींचने पड़े थे। नेहरू के बाद से किसी भी कांग्रेसी या गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने कभी इस कानून के साथ छेड़छाड़ की कोशिश नहीं की। खास बात यह है कि पिछली कांग्रेस सरकार ने इस कानून का जमकर दुरुपयोग भी किया। लेकिन अब सत्ता में आने के लिए आतंकवादियों, जिहादियों और नक्सलियों के आगे घुटने टेक दिए। अगर कांग्रेस इसमें कामयाब हो गई तो “भारत तेरे टुकड़े होंगे” जैसे नारे लगते रहेंगे और सरकारें और पुलिस कुछ नहीं कर सकेंगे। बीजेपी ने कहा है कि जो राजनीतिक दल इस तरह की सोच रखता है उसे देश की जनता का एक भी वोट पाने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
2. कश्मीर में अलगाववादियों से बिना शर्त बात
अबतक देश की सरकारों का स्पष्ट मत रहा है कि कश्मीर में वो किसी भी पक्ष से बात करने को तैयार है, बशर्ते वो भारत के संविधान में आस्था जताए। लेकिन राहुल गांधी की कांग्रेस ने इस शर्त को हटा लिया। यानी आतंकवादियों और अलगाववादियों से बात होगी। आतंकी संगठन और अलगाववादी हमेशा शर्त रखते हैं कि बातचीत में पाकिस्तान को शामिल किया जाए। यानी यह बात खुद-ब-खुद मान ली जाएगी। ये उससे भी बड़ी गलती होगी जो जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर मुद्दे को यूएन में ले जाकर की थी। कांग्रेस की सरकारें पहले भी यासीन मलिक जैसे आतंकवादियों से बात कर चुकी हैं। जाहिर सी बात है कि वो अपनी पुरानी पॉलिसी को ही खुलकर लागू करना चाहते हैं। इस लिहाज से कांग्रेस ने घोषणापत्र में एक तरह से यह कह दिया है कि कश्मीर में पाकिस्तान की भूमिका है। अगर इस वादे पर अमल हो गया तो कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनने से कोई रोक नहीं सकेगा और कोई हैरानी नहीं कि पाकिस्तान चीन की मदद से अगले कुछ साल में जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करने में कामयाब हो जाए।
3. कश्मीर घाटी से सेना को हटाने का वादा
यह एक ऐसा वादा है जो 1947 के बाद से आज तक देश की किसी सरकार ने नहीं किया। कश्मीर के हालात को देखते हुए कोई सरकार वहां पर सेना के कामकाज में दखलंदाजी नहीं करती। लेकिन पहली बार राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस ने वो वादा किया है जिस पर अमल हुआ तो बाकी कश्मीर भी उसी तरह हाथ से निकल जाएगा, जैसे पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के इलाके। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में यह बात निश्चित रूप से चीन के दबाव में डाली होगी। क्योंकि चीन जो ‘वन बेल्ट, वन रोड’ परियोजना बना रहा है उसे वो कश्मीर घाटी के बीचोंबीच से ले जाना चाहता है। भारत ने इसमें शामिल न होकर उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया था। अगर घाटी से सेना हटाई या कम की जाती है तो चीन जब चाहेगा इस इलाके पर कब्जा कर लेगा। मेनिफेस्टो में एक लाइन लिखी गई है कि “कांग्रेस पार्टी कश्मीर में किसी तरह की सख्ती के समर्थन में नहीं है।” सवाल यह उठ रहा है कि जब सामने हथियारबंद आतंकवादी हों तो सेना को सख्ती करने से कैसे मना किया जा सकता है? 2004 में सत्ता में आने के बाद कश्मीर में कांग्रेस ने ये नीति अपनाई भी थी। तब सुरक्षाबलों के हाथ लगभग बांध दिए गए थे।
4. कश्मीर में AFSPA हटाने का वादा
AFSPA यानी आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट। ये वो कानून है जो आतंक प्रभावित इलाकों में सेना को काम करने की शक्ति देता है। इसके कारण आतंकी जवानों को ह्यूमन राइट्स के झूठे केसों में नहीं फंसा पाते। सेना कई बार कह चुकी है कि कश्मीर में AFSPA को हटाना आत्मघाती कदम साबित होगा। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि इस कानून में बदलाव किया जाएगा। सवाल उठता है कि कौन सा बदलाव? क्या यह बदलाव कि आतंकवादी को मारने पर सेना के जवानों पर मुकदमा लिखा जाएगा? या फिर यह कि किसी ऑपरेशन पर जाने से पहले सेना को लोकल विधायक को जानकारी देनी होगी, ताकि भागने का मौका मिल जाए? ऐसे समय में जब मोदी सरकार कश्मीर में सुरक्षाबलों को अधिक ताकत और अधिकार देने पर काम कर रही है कांग्रेस का ये वादा देश के लिए खतरे की घंटी है। 2014 में सत्ता छिनने से पहले भी कांग्रेस ने ये कोशिश शुरू की थी। तब विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘हैदर’ आई थी। ये फिल्म AFSPA कानून के खिलाफ थी। फिल्म में इस कानून को गालियां दी गई थीं और इसे सारी समस्या की जड़ साबित किया गया। ऐसा दिखाया गया मानो इसके कारण कश्मीरियों का जीना मुहाल है। ये फिल्म आतंकवादियों के लिए सहानुभूति पैदा करने और AFSPA के लिए लोगों में नाराजगी पैदा करने की नीयत से तब की कांग्रेस सरकार ने बनवाया था। इन दिनों कोई आम फिल्म कश्मीर में शूट करना नामुमकिन होता है। लेकिन ‘हैदर’ की शूटिंग के लिए आतंकवादियों और अलगाववादियों ने भी इजाज़त दी थी। 2014 में इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिलाया गया था। जब ये अवॉर्ड दिया गया था तब मोदी सरकार सत्ता में आ चुकी थी, लेकिन ज्यूरी पर कांग्रेस के लोगों का ही कब्जा था।
5. जवानों पर रेप केस चलाने का समर्थन
किसी बात को अगर थोड़ा घुमाकर कहा जाए तो जरूरी नहीं कि उसका मतलब भी बदल जाए। कांग्रेस घोषणापत्र में साफ-साफ लिखा है कि “यौन हिंसा करने वाले सेना के जवानों को सजा दिलाई जाएगी। इसके लिए स्पेशल पावर एक्ट में बदलाव किया जाएगा।” कांग्रेस पार्टी लिखती है कि “लोगों के गायब हो जाने, यौन हिंसा और यातना के मामलों में सेना को मिलने वाले विशेषाधिकार खत्म हो जाएंगे।” यानी कोई भी महिला अगर यौन शोषण का आरोप लगा दे तो जवान का गिरफ्तार होना तय है। इस दौरान उसे किसी आम आदमी की तरह जेल में रहना होगा। अगर आरोप कोई नाबालिग लगाती है तो मतलब फैसला आने तक जमानत के कोई चांस नहीं। वैसे भी यह पहली बार है जब किसी बड़े राष्ट्रीय राजनीतिक दल ने सेना के लिए इस तरह की अपमानजनक बात लिखी है। ये वही दुष्रचार है जो पाकिस्तान भारतीय सेना के खिलाफ बीते कई साल से करता रहा है। यह तय है कि पाकिस्तान इस घोषणापत्र को अब अपने आरोपों के सबूत के तौर पर दुनिया भर में पेश करेगा। सबसे बड़ी बात कि कांग्रेस ने घोषणापत्र में कहीं भी कश्मीरी पंडितों का जिक्र तक नहीं किया है। जबकि गांधी परिवार खुद को कश्मीरी ब्राह्मण बताता है।
#CongVsNationalInterest | If Congress wants to replace the rule of law with the rule of insurgents and terrorists, this is not acceptable to the people of India: Finance Minister Arun Jaitley responds to Congress manifesto.
Tune in to watch it LIVE- https://t.co/LGCyJUWcLF pic.twitter.com/FyUpWaLShw
— Republic (@republic) April 2, 2019
देश तोड़ने की साजिश के अलावा भी कांग्रेस के घोषणापत्र में काफी कुछ खतरनाक बातें लिखी गई हैं:
1. वादा किया गया है कि लोन डिफाल्ट करना कानूनन अपराध नहीं होगा। किसानों के नाम पर किए जा रहे इस वादे का फायदा विजय माल्या, नीरव मोदी और रॉबर्ट वाड्रा जैसे लोग उठाएंगे।
2. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक दर्जा दिया जाएगा। मतलब ये हुआ कि यूनिवर्सिटी में दलितों और पिछड़ों को आरक्षण की रही-सही उम्मीद भी खत्म हो जाएगी।
3. देश भर में किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया गया है जो कांग्रेस कभी नहीं करने वाली। साथ ही गरीबों को 72 हजार रुपये की स्कीम का वादा किया गया है। इसके बावजूद वादा किया गया है कि सरकारी खजाने का घाटा 3 फीसदी से कम रहेगा। जो कि असंभव है। जाहिर है कांग्रेस लोगों को एक बार फिर से ठगने की कोशिश में है वो वही कर रही है जो उसने 2004 और फिर 2009 में किया था।