पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है। इसके मुताबिक बालाकोट में भारतीय वायुसेना के हमले के बाद पाकिस्तान ने एटम बम हमले के लिए तैयारी की कोशिश की थी लेकिन वो इसमें नाकाम रहा था। ये दावा न्यूज वेबसाइट ‘दि प्रिंट’ ने किया है। वेबसाइट ने अपने दावे के समर्थन में कुछ सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं जिनसे इस बात का सुराग मिलता है कि बालाकोट हमले के बाद पाकिस्तान अपने न्यूक्लियर बम के अड्डे पर कुछ कर रहा था, लेकिन इसी दौरान एक हादसा हो गया। इस हादसे के निशान उपग्रह से ली गई तस्वीरों में देखे जा सकते हैं। इन तस्वीरों में ज़मीन पर जलने के निशान दिखाई दे रहे हैं। ये दावा करने वाले कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट हैं, भारतीय सेना में उपग्रह खुफिया सूचनाओं पर काम कर चुके हैं। वो दिप्रिंट पोर्टल के लिए लिखते हैं। उनका दावा है कि जमीन पर जिस तरह के निशान हैं वैसे किसी वाहन से मिसाइल गिरने और उसमें धमाका होने के कारण बन सकते हैं। लेख में दावा किया गया है कि 26 फरवरी को बालाकोट हमले के बाद पाकिस्तान के एटमी हथियार रखने के एक ठिकाने और मिसाइल लॉन्च करने वाली जगहों पर हलचल तेज थी। पाकिस्तान का ये एटमी ठिकाना बलोचिस्तान के खुजदार इलाके में बना हुआ है।
एटॉमिक सेंटर पर दुर्घटना के आसार
कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट ने रिपोर्ट में लिखा है कि सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषण से लगता है कि खुजदार के एटमी ठिकाने पर शायद कोई दुर्घटना या ऐसी बात हुई जिसकी पाकिस्तानी फौज को उम्मीद नहीं थी। ऐसी घटनाओं की जानकारी बहुत कम ही सार्वजनिक की जाती है और वास्तव में हुआ क्या है यह जानने का एकमात्र जरिया उपग्रह से लिए गए चित्र ही होते हैं। दिप्रिंट के इस लेख में पाकिस्तान के परमाणु हथियारों से जुड़े प्रमुख ठिकानों के उपग्रह चित्रों का विश्लेषण किया गया है। खुजदार आर्मी बेस पर हलचल कई मायनों में अहम है क्योंकि ये पाकिस्तान का सबसे सुरक्षित आर्मी बेस माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर पाकिस्तान ने कहीं पर अपने एटम बम रखे हैं तो वो यही जगह है। यहां पर अंग्रेजी के अक्षर Y के आकार के दो बड़े अंडरग्राउंड बंकर बनाए गए हैं। जिनमें 50×10 मीटर के तीन और 25×10 मीटर के तीन ब्लॉक बनाए गए हैं। ये सब आपस में गलियारों से जोड़े गए हैं। कुल 2,850 स्क्वायर मीटर के इस ठिकाने में ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर यानी आसान भाषा में कहें तो मिसाइल लॉन्चर पर लगे करीब 46 परमाणु हथियारों को रखा सकता है।
जमीन पर दिख रहे जलने के निशान
8 मार्च 2019 को ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में 200×100 मीटर के इलाके में आग के निशान दिख रहे हैं। जोकि किसी दुर्घटना के कारण ही बन सकते हैं। क्योंकि इस हाईसिक्योरिटी वाले एटमी सेंटर पर इतनी बड़ी आग यूं ही नहीं लग सकती। कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट का अंदाजा है कि हो सकता है कि बालाकोट हमले के बाद पाकिस्तान ने एटम बमों को निकालने का काम शुरू किया हो और इस दौरान कोई एक या अधिक मिसाइल नीचे गिर गई हों। इस कारण विस्फोटकों में धमाके हुए होंगे और उससे मुख्य सड़क के पास के टीले पर आग लग गई होगी। भारत से तनाव के बाद इस ठिकाने की सुरक्षा बढ़ाई गई थी, जिससे यह संकेत मिलते हैं कि पाकिस्तान इसे लेकर चिंतित था। जिस तरह की दुर्घटना के निशान यहां पर दिखाई दे रहे हैं वैसे निशान किसी और सैनिक ठिकाने पर नहीं हैं।
सभी एटमी सेंटरों पर गतिविधियां तेज़
पाकिस्तान का दूसरा एटमी स्टोरेज सेंटर सिंध में हैदराबाद से 18 किलोमीटर उत्तर में पेटारो नाम की जगह पर है। यह पाकिस्तान का सबसे एडवांस अंडरग्राउंड एटम बम स्टोरेज है। यहां पर भी मोटी कंक्रीट की परतों से बना अंडरग्राउंड ढांचा है, जिसमें अंग्रेजी के शब्द X के आकार के दो बंकर बने हैं। जिनमें 30×10 मीटर के चार और 20×10 मीटर के चार ब्लॉक्स हैं। ये सब आपस में 200 मीटर x 10 मीटर के एक गलियारे जोड़े गए हैं। करीब चार हजार स्क्वायर मीटर में फैला ये एटम बम स्टोरेज अमेरिका के सबसे बड़े हथियार डिपो से भी बड़ा है। अमेरिका के न्यू मेक्सिको के किर्टलैंड एयरबेस में बना हथियारों का हैंगर सबसे बड़ा है। जबकि पाकिस्तान अपने पेटारो एटम बम स्टोरेज में 50 से लेकर 500 तक परमाणु हथियार एक साथ रख सकता है। यहां पिछले साल एक नया 9-होल गोल्फ कोर्स बनाया गया है, जिससे यह शक पक्का होता है कि इस ठिकाने पर बड़ी संख्या में फौजी अधिकारी और संभवत: एक पूरी ब्रिगेड तैनात है।
कराची में भी हैं एटमी मिसाइल बंकर
पाकिस्तानी एयरफोर्स के कराची के मसरूर एयरबेस में राड मिसाइलों के लिए स्पेशल बंकर बनाए हैं। माना जाता है कि ये वो मिसाइलें हैं जिन्हें एटम बम के साथ लोड किया जा सकता है। यहां पर एक वर्गाकार बंकर बना हुआ है, जिसमें तीन तरफ से सुदृढ़ीकरण यानी रीफोर्समेंट किया गया है। एयरक्राफ्ट शेल्टर को ऊपर से अतिरिक्त तीन परतें डालकर मज़बूत बनाया गया है ताकि मिसाइल और ताकतवर बमों से इन्हें बचाया जा सके। ये पूरा सेंटर ऑटोमैटिक है जिसमें ज्यादातर काम रीमोट कंट्रोल से किया जा सकता है। इस तहखाने में 6 से 10 राड मिसाइलें रखी जा सकती हैं, जिनसे 3 से 5 लड़ाकू विमानों को लोड किया जा सकता है। इस तरह यह सेंटर पाकिस्तानी वायुसेना की ताकत के एक बैकअप की तरह काम करता है। दिप्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने अपने लगभग हर इलाके में मिसाइल लॉन्च पैड बना रखे हैं। हालांकि इन्हें पहाड़ी इलाकों में ज्यादा प्राथमिकता दी गई है। क्योंकि यहां पर उन्हें दुश्मन की नजर से बचाना आसान होता है।