सिक्किम के पहले हवाई अड्डे का पीएम नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अब से पहले बॉर्डर पर बसे सिक्किम जैसे महत्वपूर्ण राज्य में एक हवाई अड्डा नहीं था। 1975 में सिक्किम का भारत में विलय हुआ था और उसे एक राज्य का दर्जा दिया गया था। उसके बाद से ही यहां पर एयरपोर्ट बनाने की मांग शुरू हो गई थी, लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। जानकारों की राय में इसके पीछे बड़ी वजह चीन का दबाव था। कांग्रेस सरकार ने चीन के दबाव में कभी भी बॉर्डर के राज्यों में बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च नहीं किया। जबकि इस दौरान सीमा के दूसरी तरफ चीन नए-नए हवाई अड्डे, हाइवे और डैम बनाता रहा। आइए आपको बताते हैं सिक्किम के पैकयॉन्ग एयरपोर्ट की कुछ खास बातें:
बेहद महत्वपूर्ण है लोकेशन
यूं तो चीन सीमा पर ढेरों हवाई अड्डे और हाइवे बना चुका है, लेकिन अगर कभी युद्ध हुआ तो भारत की सप्लाई लाइन बनाने में इस हवाई अड्डे की बड़ी भूमिका हो सकती है। यह चीन सीमा से मात्र 60 किलोमीटर दूर है। सिक्किम की राजधानी गैंगटोक से इसकी दूरी सिर्फ 30 किलोमीटर है। 4,700 फीट की ऊंचाई पर बने इस हवाई अड्डे का यूं तो नागरिकों के लिए इस्तेमाल होना है, लेकिन जरूरत पड़ते ही इसे एयरफोर्स का बेस बनाया जा सकता है। इसका रनवे 1.7 किलोमीटर लंबा है और 30 मीटर चौड़ा है। एयरपोर्ट का टर्मिनल २५ हजार स्क्वायर फीट इलाके में फैला है। जहां एक समय में 100 यात्रियों को आराम से ठहराया जा सकता है।
एयरपोर्ट चीन के लिए चुनौती
एक रनवे वाले इस छोटे से एयरपोर्ट से चीन किस हद तक परेशान है ये इसी से समझा कि इसी साल मार्च में जब यहां पर पहली बार भारतीय वायुसेना का डोर्नियर 228 और बॉम्बार्डियर डैश8-Q400 उतारा गया तो इसकी चर्चा वहां की मीडिया में खूब हुई। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इसे भारत की ओर से शुरू की गई ‘रणनीतिक मोर्चेबंदी’ का नाम दिया था। चीन ने भले ही इस इलाके में अपने बुनियादी ढांचे को बहुत विकसित कर रखा है। लेकिन उसे शक है कि बारी-बारी भारत चीन से लगी सीमा पर ऐसे कई और हवाई अड्डे बनाएगा। जोकि आगे चलकर इलाके में उसके प्रभुत्व के लिए खतरा बने रहेंगे। चीन मानता है कि सिविल इस्तेमाल के नाम पर बने इस एयरपोर्ट पर भारतीय सेना हमेशा मौजूद रहेगी।
यह हवाई अड्डा बन जाने से सिक्किम जाने वाले सैलानियों की संख्या में दोगुना से अधिक बढ़ोतरी होने का अनुमान है। इससे सिक्किम के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और राज्य में बुनियादी ढांचे का भी विकास होगा। अभी लोगों को बागडोगरा एयरपोर्ट पर उतरकर करीब 128 किलोमीटर का सड़क के रास्ते सफर तय करके सिक्किम पहुंचना होता है।