कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी की महासचिव पद से विदाई ने पार्टी संगठन के अंदर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनार्दन द्विवेदी वो पहले बड़े नेता हैं जिनको राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद हटाया गया है। जनार्दन द्विवेदी को सोनिया गांधी का करीबी बताया जाता है। कांग्रेस के अंदर मौजूदा समय में वो सबसे कद्दावर नेता थे। उन्हें हटाकर अशोक गहलोत को महासचिव बनाए जाने से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या राहुल गांधी की कोर टीम में कोई ब्राह्मण नेता नहीं होगा? क्योंकि राहुल गांधी के कमान संभालने के बाद से कांग्रेस के ज्यादातर ब्राह्मण नेता हाशिये पर जा चुके हैं। खुद को जनेऊधारी और ब्राह्मण बताने वाले राहुल गांधी ने मनीष तिवारी, संदीप दीक्षित जैसे युवा नेताओं को भी कोई अहम जिम्मेदारी या पद नहीं दिया है।
‘जनार्दन द्विवेदी को किया अपमानित’
कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ने न्यूज़लूज़ को बताया कि “पार्टी के सबसे मुश्किल दिनों में जनार्दन द्विवेदी स्तंभ की तरह खड़े रहे। अग्रिम पंक्ति का नेता होने के बावजूद उन्होंने कभी कोई सरकारी पद नहीं लिया। उसके बाद उन्हें अचानक निकाला जाना हर किसी के लिए हैरान करने वाला है।” गौरतलब है कि जनार्दन द्विवेदी को निकाले जाने का पत्र खुद उन्हीं की दस्तखत से जारी कराया गया। जाहिर है ऐसा करने के पीछे उन्हें अपमानित करने की मंशा झलकती है। जबकि ये काम अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी भी कर सकते थे। जनार्दन द्विवेदी को कांग्रेस के अंदर हिंदुत्ववादी के तौर पर देखा जाता था। 2014 के चुनाव के बाद उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी, जिसे लेकर गांधी परिवार को मिर्ची लग गई थी। इसके अलावा उन्होंने राहुल गांधी के मुकाबले प्रियंका गांधी को बेहतर नेता बताया था। जनार्दन द्विवेदी को खुद इंदिरा गांधी ने बुलाकर कांग्रेस में शामिल किया था। पेशे से अध्यापक जनार्दन द्विवेदी को इंदिरा ने ही ये जिम्मेदारी सौंपी थी कि वो उनकी बहू सोनिया को हिंदी सिखाएं।
राहुल को बर्दाश्त नहीं ब्राह्मण नेता
कांग्रेस पार्टी के अंदर ब्राह्मण पहचान वाले नेताओं में ताजा फैसले को लेकर बेचैनी साफ देखने को मिल रही है। मीडिया की खबरों के मुताबिक दो अन्य महासचिव सीपी जोशी और मोहन प्रकाश को भी जल्द ही हटाया जा सकता है। संयोग से ये दोनों भी ब्राह्मण ही हैं। यही स्थिति दिग्गज नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी का भी है, जिन्हें काफी समय से हाशिये पर रखा गया है। पहले पार्टी टीवी चैनलों की बहसों में उन्हें भेजा करती थी, लेकिन अब वो काम भी करीब-करीब छीना जा चुका है। आने वाले समय में भी उन्हें कोई महत्वपूर्ण काम मिलने की उम्मीद न के बराबर है। शीला दीक्षित पहले ही रिटायर हो चुकी हैं और उनके पास भी पार्टी संगठन से जुड़ा कोई अहम काम बाकी नहीं बचा है। ब्राह्मण नेताओं में फिलहाल आनंद शर्मा को थोड़ा-बहुत काम मिला हुआ है, लेकिन वो भी सोनिया के जमाने का। राहुल गांधी उनके साथ क्या सलूक करते हैं ये अगले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा। कांग्रेस के अंदर ब्राह्मण नेताओं से हो रहे इस बर्ताव की चर्चा सोशल मीडिया पर खूब हो रही है।
२०१४ में जनर्दन द्विवेदी ने राजीव गांधी से हुई बातचीत का हवाला देकर प्रियंका को राहुल गांधी से बेहतर बताया था..
आज राहुल जी की नयी टीम में जनर्दन द्विवेदी को हटाकर अशोक गहलोत को संघठन महासचिव की ज़िम्मेदारी दे दी गयीJanardan Dwivedi
— Nishant Chaturvedi (@nishantchat) March 30, 2018
जनार्दन द्विवेदी जी,
राहुल जी अब अपने असली रूप में आ रहें है?आप अपने नाम में किसी भी रूप में “वेद” शब्द का प्रयोग न करे, अगर कांग्रेस में किसी पद पर रहना है।
द्विवेदी, त्रिवेदी, चतुर्वेदी के साथ दूबे, चौबे,तिवारी,पाराशर,त्रिपाठी,शुक्ला, आदि कांग्रेस के शब्दकोश से गायब हो गये है?— Mahesh Arya KL (@MaheshA30368632) March 31, 2018
जनार्दन द्विवेदी की जगह अशोक गहलोत को संगठन की जिम्मेदारी! गहलोत,पायलट,बब्बर,सिंधिया, कादरी…।
खड़गे,गुलाम नबी आजाद…।
सुरजेवाला,आरपीएन,माकन…..।
ब्राह्मणों का वर्तमान कांग्रेस में स्थान?
जनेऊधारू/जनेऊधारी(सुरजेवाला के शब्द)कृपया सोचें2019 की जंग।@RahulGandhi @INCIndiaLive— MANOJ KUMAR JHA (@manojKu05863399) March 30, 2018
… लेकिन जनार्दन द्विवेदी जैसे अनुभवी, मंझे हुए और सोनिया के अति विश्वस्त को क्यूं हटाया? … क्या मोदी की प्रशंसा करना भारी पड़ गया?
— Suresh Goyal (@sureshgoyal24) March 31, 2018
कांग्रेस में तरक्की के लिए सिर्फ एक गुण काफी है। चमचागिरी करो और मौज करो। निष्ठा की कद्र होती तो जनार्दन द्विवेदी ने क्या कसर छोड़ी जो उन्हें हटाया गया है…और इनके कसीदे पढ़कर आप भी वही कर रहे जो इन्होंने मां-बेटे के लिए किया। जय हो।
— Chandu Sharma (@ChanduS34699646) April 1, 2018