कश्मीर में इलेक्शन ड्यूटी पर गए सीआरपीएफ के जवानों के साथ बदसलूकी पर जो लोग कल तक चुप्पी मारे बैठे थे, अचानक उनकी जुबान खुल गई है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें सेना की जीप के आगे एक आदमी बंधा हुआ था। ये वो पत्थरबाज था जो जवानों के हत्थे चढ़ गया था। खुद पर पथराव रोकने के लिए सैनिकों ने ये आइडिया निकाला कि क्यों न इसे ढाल बना दिया जाए ताकि पथराव रुक सके। ये वीडियो देखते ही पाकिस्तान-परस्त मीडिया और सेकुलर ताकतों का कलेजा रो पड़ा और दिन भर इस वीडियो के जरिए सेना को बदनाम करने का अभियान चलता रहा। कुछ लोगों ने तो इसे ‘सेना की बर्बरता’ तक करार दिया। भारतीय सेना पर कीचड़ उछालने का जो काम उमर अब्दुल्ला ने शुरू किया उसमें मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवियों ने जमकर हाथ बंटाया। लेकिन जो तस्वीर आपने देखी वो पूरा सच नहीं है। पत्थरबाजों को जीप के आगे बांध कर जवानों ने सही किया या गलत, यह फैसला करने से पहले आपको पूरे तथ्य जान लेने चाहिए।
नौ जवानों की जान बचाई
दरअसल ये वीडियो 9 अप्रैल के दिन कश्मीर के बडगाम का है। वो यहां वोटिंग का दिन था। पोलिंग बूथ पर आईटीबीपी और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों की तैनाती थी। वोटिंग का वक्त जब पूरा हो गया था, तभी हजार के करीब पत्थरबाजों ने पोलिंग बूथ पर हमला बोल दिया। इलेक्शन ड्यूटी पर तैनात चश्मदीदों ने भी मीडिया से बातचीत में बताया था कि सिर्फ पत्थर नहीं फेंके जा रहे थे। उनके हाथों में ईंट के बड़े-बड़े टुकड़े थे, जो पोलिंग पार्टी को निशाना लगाकर फेंके जा रहे थे। घटना के वक्त पोलिंग बूथ पर सुरक्षा के लिए तैनात जवानों की संख्या सिर्फ 9 थी। यानी इन 9 जवानों को हजार के करीब की भीड़ का मुकाबला करना था। आईटीबीपी के जवानों ने समझ लिया कि अगर फौरन कुछ किया नहीं, जिंदा बाहर निकलना मुश्किल है। उन्होंने फौरन आर्मी के स्टेशन कमांडर को एसओएस मैसेज भेजा कि हम एक कमरे में बंद हैं और बाहर करीब हजार लोगों की भीड़ लगातार पथराव कर रही है। मैसेज मिलते ही सेना की क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) को मौके पर रवाना किया गया। इस टीम के 17 जवान एक जीप और एक बस से मौके पर पहुंचे। टीम के कमांडर ने भांप लिया कि खतरा बहुत बड़ा है और पथराव कर रही भीड़ वापस उन पर भी टूट सकती है। सेना जानती है कि ऐसे वक्त पर अगर गोली चलाई गई तो हालात और भी बिगड़ जाते हैं। वैसे भी QRT का पहला लक्ष्य था पोलिंग बूथ के अंदर फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना। पोलिंग बूथ से कुछ मीटर पहले उनके हाथ एक पत्थरबाज लग गया। जवानों ने पूरी फुर्ती से उसे कब्जे में लिया और अपनी जीप के आगे बांध दिया। इस तरह से QRT की पूरी टीम पत्थरबाजों के बीच से निकली और पोलिंग बूथ के अंदर जाकर उन्होंने पोलिंग पार्टी को बाहर निकाला। उमर अब्दुल्ला जैसे गद्दार वीडियो का एक छोटा सा हिस्सा ही दिखा रहे हैं अगर इसके आगे पीछे का हिस्सा भी दिखाया जाए तो खुद ही समझ में आ जाएगा कि गलती किसकी थी।
This young man was TIED to the front of an army jeep to make sure no stones were thrown at the jeep? This is just so shocking!!!! #Kashmir pic.twitter.com/bqs4YJOpJc
— Omar Abdullah (@abdullah_omar) April 14, 2017
पत्थरबाज का झूठ पकड़ाया
जिस पत्थरबाज को सेना ने जीप से बांधा था उसका नाम फारूक अहमद डार है। मामला चर्चा में आने के बाद मीडिया उसके पास पहुंच गई और उसकी बात को बिना जांच-पड़ताल के चैनलों ने दिखाया जिसमें वो यह कह रहा है कि मैं तो कहीं और जा रहा था और सेना ने मुझे जबरन पकड़कर बांध लिया। जबकि यह बात सही नहीं है। सेना को शायद एहसास था कि मीडिया और अरविंद केजरीवाल टाइप नेता आगे चलकर इस बात के सबूत मांग सकते हैं, लिहाजा ऑपरेशन की पूरी डिटेल रखी गई है और ऑटोमैटिक कैमरे की रिकॉर्डिंग भी। जवानों ने डार को तब पकड़ा जब वो पत्थर फेंककर पीछे की तरफ भाग रहा था। हमें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कश्मीर के ये पत्थरबाज अब सीआरपीएफ या पुलिस से बिल्कुल भी नहीं डरते। हाल ही में सीआरपीएफ के जवानों के साथ जिस सलूक का वीडियो लोगों ने देखा वो घाटी में आम है। इस बार बस फर्क ये था कि उसका वीडियो वायरल हो गया। जवान अच्छी तरह जानते हैं कि जब आप भीड़ से घिरे हों तो बंदूक बेअसर हो जाती है। अगर आप गोली चलाएंगे तो भी मरना तय होता है। क्योंकि इतनी बड़ी भीड़ अगर टूट पड़े तो ज्यादा देर तक मुकाबला करना मुश्किल होता है। ऐसे में सेना ने उस फॉर्मूले को इस्तेमाल किया जो फलस्तीनी पत्थरबाजों को काबू में करने के लिए इस्राइल की सेना किया करती थी।
Here’s the video as well. A warning can be heard saying stone pelters will meet this fate. This requires an urgent inquiry & follow up NOW!! pic.twitter.com/qj1rnCVazn
— Omar Abdullah (@abdullah_omar) April 14, 2017