क्या आपका बच्चा किसी प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है और आप स्कूल की मनमानी से बहुत परेशान हैं? अगर हां तो आपको इस समस्या के हल के लिए गुजरात मॉडल की मांग करनी चाहिए। दरअसल गुजरात सरकार ने मां-बाप को स्कूलों के अत्याचार से बचाने के लिए एक ऐसा फॉर्मूला लॉन्च किया है जिस पर पूरे देश में अमल होना चाहिए। राज्य सरकार ने कानून करा के प्राइमरी, सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी के लिए क्रमशः 15 हजार रुपये, 25,000 और 27,000 रुपये सालाना तक फीस तय कर दिया है। मतलब ये कि स्कूल इससे ज्यादा रकम नहीं वसूल सकते। दिल्ली समेत पूरे देश में निजी स्कूलों में अनाप-शनाप फीस की समस्या से लोग परेशान रहते हैं। ऐसे में अगर बाकी राज्य भी गुजरात के इस मॉडल को अपने यहां अमल में लाएं तो अभिभावकों को काफी राहत मिल सकेगी। दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने भी फीस को लेकर काफी ढोंग किया था, लेकिन न तो इसे कानून की शक्ल दी और न ही कभी स्कूलों पर दबाव बनाया कि वो वाजिब फीस ही वसूलें।
गुजरात का स्कूल फीस कानून
ये कानून कई मायनों में अनोखा माना जा रहा है। क्योंकि अब तक देश में कहीं भी प्राइवेट स्कूलों की फीस तय करने का कोई सिस्टम नहीं था। नए कानून में स्कूली पढ़ाई की फीस का ढांचा कुछ इस तरह से है:
1. क्लास 1 से 5 तक (प्राइमरी) की फीस सालाना 15 हजार रुपए से ज्यादा नहीं।
2. क्लास 5 से 10 तक (सेकेंडरी) की सालाना अधिकतम फीस 25 हजार रुपये।
3. क्लास 11 से 12 तक (हायर सेकेंडरी) की सालाना फीस अधिकतम 27 हजार रुपये।
बिल को पेश करते हुए शिक्षामंत्री भूपेंद्र सिंह चुड़ास्मा ने कहा कि अमीर तो कितनी भी मोटी फीस देकर पढ़ सकते हैं। लेकिन आजकल गरीबों परिवार भी अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूल में भेजना चाहते हैं। लेकिन फीस ज्यादा होने के कारण वो मुसीबत में फंस जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि फीस तय सीमा में रहे। विधानसभा में पास कराए गए कानून के मुताबिक ये फीस की अधिकतम सीमा है। स्कूल इससे ऊपर किसी दूसरे मद में भी पैसा नहीं मांग सकेंगे।
‘मुनाफा चाहिए तो दुकान खोलो’
इस कानून में साफ-साफ लिखा गया है कि शिक्षा एक सेवा है कारोबार नहीं। गुजरात के शिक्षामंत्री भूपेंद्र सिंह चुड़ास्मा के मुताबिक जिन्हें मुनाफा कमाना हैं वो कोई दूसरा धंधा या कारोबार खोल लें। ये कानून गुजरात के सभी स्कूलों पर लागू होगा, चाहे वो राज्य बोर्ड के हों, सीबीएसई के हों या फिर कोई इंटरनेशनल बोर्ड को फॉलो करते हों। कानून के तहत गुजरात में फीस रेगुलेशन कमेटी बनेगी जो स्कूलों पर कड़ी नजर रखेगी। जो स्कूल नियमों का पालन नहीं करेंगे उन पर जुर्माना लगेगा और ऐसी शिकायत बार-बार सही पाए जाने पर स्कूल का रजिस्ट्रेशन ही रद्द कर दिया जाएगा। हालांकि कुछ तकनीकी कारणों से कानून में प्री-प्राइमरी क्लास को शामिल नहीं किया गया है। क्योंकि सरकारी सिस्टम से पढ़ाई पहली क्लास से ही शुरू होती है।