करीब 7 लाख लोगों को बेवकूफ बनाकर ठगने वाले नोएडा के अनुभव मित्तल की पोल खुलने के पीछे भी नोटबंदी का हाथ रहा। 3700 करोड़ रुपये का ये गबन यूं ही चलता रहता अगर नोटबंदी के बाद रुपये-पैसों की लेन-देन पर सख्ती नहीं की गई होती। मामले की जांच से जुड़े इनकम टैक्स विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नोटबंदी के बाद अनुभव मित्तल की कंपनी ने बैंक खाते में 6 करोड़ रुपये कैश जमा करवाए थे, जिसके बाद वो आयकर विभाग की नजर में आया। जांच आगे बढ़ी तो जालसाजी के रैकेट की पूरी पोल खुल गई।
नोटबंदी के बाद पकड़ी गई चालाकी
अनुभव मित्तल की कंपनी में काफी मात्रा में 500 और 1000 रुपये के रूप में कैश जमा था। जिसे उसने नोटबंदी के बाद जमा करवाना शुरू किया। जब जांच हुई तो पता चला कि ये कंपनी कोई काम नहीं करती। ये लोग सोशल मीडिया पर मल्टी-लेयर प्रोमोशन के नाम पर लोगों से पैसे बटोर रहे थे और इसी पैसे को एक सिस्टम के तहत घुमाया जा रहा था। यानी इस इस कंपनी के बिजनेस मॉडल में कमाई का कोई स्कोप था ही नहीं। कुल मिलाकर लोगों के पैसे बटोरे जा रहे थे और ये सबकुछ लेकर कुछ दिन में ही भागने की तैयारी थी। गबन के इस पूरे मॉडल की जांच जारी है और पूरी सच्चाई जल्द सामने आने की उम्मीद है।
कैसे चलता था जालसाजी का धंधा
खुद को भारत का मार्क जुकरबर्ग कहलवाने वाला अनुभव मित्तल अपने दो साथियों के साथ मिलकर socialtrade.biz नाम से एक वेबसाइट चलाता था। इस वेबसाइट पर लोगों को पैसे कमाने का लालच देकर उनसे निवेश कराया जाता था। मेंबरशिप के लिए 5750 रुपये से 57500 रुपये तक की फीस तय थी। एक बार सदस्य बन जाने पर लोगों को सोशल मीडिया पर एक लिंक पर क्लिक करने का 5 रुपये दिए जाते थे। ये लोग इस काम को सोशल ट्रेड कहते थे। इसके लिए इन्होंने एब्लेज इन्फो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी रजिस्टर की थी। लेकिन अपनी वेबसाइट का नाम ये लोग हर कुछ दिन पर बदल देते थे। लाइक्स और क्लिक के बदले पैसों का लालच देकर इन लोगों ने करीब 7 लाख लोगों को ठगा। जिन लोगों को मेंबर बनाया जाता, उन्हें कुछ दिन तक तो पैसे मिलते भी थे, लेकिन बाद में बंद हो जाते थे।