केरल में आवारा कुत्तों से परेशान लोगों ने अब इन्हें मारने की जिम्मेदारी खुद ही संभाल ली है। यहां कुत्तों को मारने के लिए बाकायदा संगठन बनाए गए हैं। एर्नाकुलम जिले में जोस मावेली नाम के शख्स ने ‘स्ट्रीट डॉ इरैडिकेशन यूनियन’ (Street Dog Eradication Union) शुरू किया है, जो सड़कों-गलियों में घूमने वाले आवारा कुत्तों को पकड़ कर मारने का काम करेगा। खुद को समाजसेवी कहने वाले जोस मावेली का कहना है कि पूरे केरल में आवारा कुत्तों का आतंक है। इन कुत्तों की वजह से कई जगहों पर बच्चे घरों से बाहर तक नहीं निकल पाते। अकेले राजधानी तिरुवनंतपुरम में साल भर में 4 हजार से ज्यादा लोगों को कुत्ते काट चुके हैं।
अब तक कई कुत्ते मार चुके हैं
जोस मावेली और उनके साथी दावा करते हैं कि वो 21 सितंबर से अब तक करीब 50 कुत्ते मार चुके हैं। अगर कोई कुत्ते मारकर उसे जमीन में गाड़ दे और सबूत लेकर जाए तो ये संस्था उसे 500 रुपये का इनाम भी देती है। दरअसल केरल के कई जिले इन दिनों आवारा कुत्तों के आतंक से जूझ रहे हैं। ये कुत्ते सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं। पशु अधिकार से जुड़े कानूनों की वजह से सरकार और प्रशासन भी लोगों की ज्यादा मदद नहीं कर पा रहा है, लिहाजा लोग ये काम खुद ही करने लगे हैं।
सरकार कुत्तों को मारने के समर्थन में
पशुओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाएं खुलेआम कुत्तों को मारने के इस अभियान से नाराज हैं। उनका कहना है कि मारने के बजाय इन कुत्तों को स्टेरिलाइज करना चाहिए। लेकिन केरल सरकार मानती है कि समस्या जिस हद तक बढ़ चुकी है, वैसे में कुत्तों को मौत के घाट उतारना ही एकमात्र हल है। केरल में आवारा कुत्तों की समस्या पर बाकायदा सर्वदलीय बैठक भी हुई थी। जिसमें कहा गया कि पागल और आक्रामक कुत्तों को मारना कानून जुर्म नहीं है। लेकिन पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कोई ये कैसे तय करेगा कि कोई कुत्ता आक्रामक है या नहीं।